अध्याय 3- चखने से पचने तक
Chapter 3- Chakhane Se Pachane Tak
NCERT Solutions for Class 5 EVS Chapter 3- Chakhane se Pachane Tak (चखने से पचने तक) यह सामग्री संदर्भ के लिए है। आप अपने विवेक से प्रयोग करें। – में विद्यार्थी तथा परिस्थितिनुसार बदलाव आवश्यक है। पुस्तकों में विचार-विमर्श तथा चर्चा के लिए बहुत स्थान हैं। उनका प्रयोग अवश्य करें क्योंकि यही उद्देश्य भी है। सिर्फ याद करना और लिखना पर्यावरण को समझने-समझाने का तरीका नहीं हो सकता।
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चर्चा करो और लिखो
विद्यार्थियों से बातचीत के द्वारा आरम्भ करें। उनके अनुभवों को प्राथमिकता दें। अनुभवों के आधार पर ही ज़वाब निश्चित करें।
प्रश्न- खट्टी इमली का नाम सुनते ही झूलन के मुँह में पानी आ गया। तुम्हारे मुँह में कब-कब पानी आता है?
अपनी पसंद की पाँच चीज़ों के नाम और उनके स्वाद लिखो ।
उत्तर- अपनी पसंद की खाने की चीज़ें देखकर मेरे मुँह में पानी आ जाता है।
मेरी पसंद की चीज़ें, उनका स्वाद
दाल-चावल—— नमकीन
शक्कर———- मीठी
चिप्स———– नमकीन
आम———— मीठा
पापड़ ———–नमकीन- तीखा
स्ट्रॉबेरी——— खट्टी-मीठी
चॉकलेट——– मीठी
प्रश्न- तुम्हें एक ही तरह का स्वाद पसंद है या अलग-अलग? क्यों?
उत्तर- मुझे अलग-अलग स्वाद पसंद है। मनपसंद स्वाद वाली चीज़ भी बार -बार खाने से अच्छी नहीं लगती। इसलिए अलग-अलग स्वाद वाली चीज़ें अच्छी लगती है।
प्रश्न- झूलन ने झुम्पा को नींबू के रस की कुछ बूँदें चखाईं । क्या कुछ बूँदों से स्वाद का पता चल सकता है?
उत्तर- हाँ, कुछ बूँदों से स्वाद का पता चल सकता है।
प्रश्न- अगर तुम्हारी जीभ पर सौंफ के दाने रखें, तो क्या तुम बिना चबाए उसे पहचान पाओगे? कैसे?
उत्तर- हाँ, मैं बिना चबाए सौंफ के दानों को जीभ पर रखकर पहचान सकती हूँ। क्योंकि मैं सौंफ की खुशबू को पहचानती हूँ।
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प्रश्न- खेल में झुम्पा ने मछली कैसे पहचान ली?, वे कौन सी चीजें हैं जो तुम बिना देखे और चखे, केवल सूँघकर पहचान सकते हो?
उत्तर- झुम्पा ने मछली को उसकी सुगंध से पहचान लिया। मैं बिना देखे और चखे मिर्च, लहसुन, प्याज, धनिया, जीरा, हल्दी, पके चावल, आम, संतरा, नींबू, गुड़, सरसों, अदरक, सौंफ, अजवायन, शलगम, और खरबूज को पहचान सकती हूँ।
प्रश्न- क्या तुम्हारे घर पर किसी ने तुम्हें नाक बंद करके दवाई पीने को कहा है? वे ऐसा क्यों कहते होंगे?
उत्तर- कुछ दवाइयों की खुशबू कसैली या अच्छी नहीं होती। जिसके कारण दवाई पीना मुश्किल हो जाता है। इसलिए नाक बंद करके दवाई पीने को कहा जाता है।
आँख बंद करके स्वाद पहचानो
अध्यापक/ अभिभावक अपनी देख-रेख में पहले इस गतिविधि को करवाएं। उसके उपरांत ही निम्न प्रश्नों को हल करने को कहें।
अलग अलग स्वाद की चीज़ें इकट्ठी करो और अपने साथी के साथ झूलन और झुम्पा की तरह खेल खेलो। अपने साथी को चीज़ें चखाओ और पूछो-
प्रश्न- स्वाद कैसा था? खाने की चीज़ क्या थी़?
उत्तर- स्वाद मीठा था। चीज़ शक्कर थी।
1.स्वाद नमकीन था। चीज़ नमक थी।
2.स्वाद खट्टा था। चीज़ नींबू का रस था।
3.स्वाद कड़वा था। चीज़ पिसी हुई मेथी थी।
प्रश्न- जीभ के कौन-से हिस्से में स्वाद ज़्यादा पता चल रहा था ?
उत्तर- स्वाद – जीभ का हिस्सा
मीठा- जीभ के सबसे अगले हिस्से में।
नमकीन- जीभ के अगले हिस्से के पीछे दाँईं और बाँईं ओर।
खट्टा- जीभ के पिछले हिस्से में दाँईं और बाँईं ओर।
कड़वा- जीभ के पिछले हिस्से के बीच में।
प्रश्न- तुम्हें जीभ के कौन से हिस्से में कौन सा स्वाद ज्यादा पता चला? अपने अनुभव के आधार पर चित्र में लिखो
उत्तर- स्वाद – जीभ का हिस्सा
मीठा- जीभ के सबसे अगले हिस्से में।
नमकीन- जीभ के अगले हिस्से के पीछे दाँईं और बाँईं ओर।
खट्टा- जीभ के पिछले हिस्से में दाँईं और बाँईं ओर।
कड़वा- जीभ के पिछले हिस्से के बीच में।
प्रश्न- कुछ खाने की चीज़ों को मुँह के किसीऔर हिस्से पर रखो- होंठ, तालू, जीभ के नीचे। क्या कहीं और भी स्वाद का पता चला?
उत्तर- खाने की चीज़ों को जीभ के अलावा अन्य हिस्सों पर रखने से स्वाद का पता नहीं चलता है।
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प्रश्न- जीभ के अगले हिस्से को किसी साफ कपड़े से पोंछो ताकि वह सुखा हो जाए। अब वहाँ चीनी के कुछ दाने या शक्कर रखो। क्या कुछ स्वाद आया? सोचो, ऐसा क्यों हुआ होगा?
उत्तर- मैंने जीभ के अगले हिस्से को साफ कपड़े से पोंछ कर सुखाया और वहाँ कुछ दाने चीनी के रखें। कुछ देर तक स्वाद महसूस ही नहीं हुआ। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जीभ पर लार नहीं थी। चीज़ें लार के साथ घुल कर ही स्वाद देती हैं।
प्रश्न- शीशे के सामने खड़े होकर अपनी जीभ की सतह को ध्यान से देखो । कैसी दिखती है? क्या जीभ पर कुछ दाने-दाने जैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर- मेरी जीभ गुलाबी रंग की दिखती है। हाँ, जीभ पर कुछ दाने-दाने दिखते हैं। इन्हें स्वाद कलिकाएं कहते हैं।
बताओ
विद्यार्थियों के अनुभवों पर चर्चा कर लें उसके उपरांत निम्न कार्य करें।
प्रश्न- अगर कोई हमसे पूछे कि कच्चे आँवले या खीरे का क्या स्वाद है तो हमें सोचना पड़ेगा।
उत्तर- कच्चा आँवला खट्टा -कसैला और खीरा बेस्वादा सा होता है।
प्रश्न- तुम खाने की किन चीज़ों, जैसे- टमाटर, प्याज़, सौंफ़, लौंग, आदि का क्या स्वाद बताओगे?
उत्तर-
वस्तु—— स्वाद
टमाटर—- खट्टा
प्याज़—– तीखा
सौंफ़——- मीठा- कसैला
लौंग——-तीखा -सनसनाहट वाला
प्रश्न- स्वाद बताने के लिए कुछ शब्द ढूँढो और खुद से सोचकर बनाओ।
उत्तर-
तीखट्टा = तीखा + खट्टा
मीठसैला= मीठा + कसैला
कड़वीठा= कड़वा + मीठा
प्रश्न- कुछ चीज़े चखने के बाद झुम्पा बोलीं ‘सी-सी-सी’। सोचो, उसने क्या खाया होगा?
उत्तर- झुम्पा ने मिर्च खाई होगी।
प्रश्न- तुम भी इसी तरह कुछ खाने के स्वादों के लिए आवाज़ें निकालो।
उत्तर- इस-इस= मिर्च
हो- हो- हो =खट्टा
ओए-होए= कड़वा
ऊवाह= मीठा, नमकीन
प्रश्न- अपने साथी से कहो कि वह तुम्हारे हाव-भाव देख कर अनुमान लगाए कि तुमने क्या खाया होगा?
उत्तर- होठों को घुमा कर गोल करना- मिर्च
दाँत दबाकर साँस लेना-खट्टा
आँखें बंद कर सर हिलाना –कड़वा
ऑंखें खोल धीरे-धीरे सिर हिलाना –मीठा
चबाकर या चबा-चबाकर खाओ
अध्यापक/ अभिभावक अपने निगरानी में यह गतिविधि करवाएं। विद्यार्थियों के अनुभवों को निम्न कार्य में शामिल करें।
प्रश्न- चबाकर या चबा-चबाकर खाओ। दोनों में अंतर बताओ।
उत्तर- चबाकर- चीज़ों को कुछ देर तक चबाना।
चबा-चबाकर- चीज़ों को अधिक देर तक चबाकर निगलना ।
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प्रश्न- पहले रोटी का टुकड़ा या कुछ चावल मुंह में डालो और तीन -चार बार चबाकर निगल जाओ।
क्या चबाने से स्वाद में बदलाव आया।
उत्तर- चावल और रोटी का टुकड़ा तीन- चार बार चबाकर निगला तो स्वाद में बहुत अधिक फर्क महसूस नहीं हुआ।
प्रश्न- अब रोटी का टुकड़ा या कुछ चावल मुँह में डालो और 30-32 बार चबाओ।
क्या देर तक चबाने से स्वाद में बदलाव आया?
उत्तर- चावल और रोटी का टुकड़ा 30-32 बार चबाकर निगला तो दोनों में ही मिठास महसूस हुई।
चर्चा करो
व्यवहारिक भाषा में बच्चों के अनुभवों को जान कर निम्न कार्य उन्हीं से पूरा करेने को कहें। उसके पश्चात जाँच कर कार्य पूर्ण करें।
प्रश्न- घर में लोग तुम्हें कहते होंगे, ” खाना धीरे -धीरे खाओ, ठीक से चलाओ, खाना अच्छे से पचेगा”। सोचो, वे ऐसा क्यों कहते होंगे?
उत्तर- हाँ, यह अक्सर ही मुझसे कहा जाता है । ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि खाना देर तक चबाने से उसमें लार ठीक ढंग से मिल जाती है। इससे खाना निगलना और बचाना सरल हो जाता है। हमारा पेट अधिक श्रम करने से बच जाता है।
प्रश्न- जब तुम कोई सख्त चीज़- जैसे अमरूद, खाते हो तो उसे मुँह में डालने से लेकर निगलने तक कौन-से बदलाव आते हैं और कैसे?
उत्तर- जब हम अमरुद खाते हैं तो पहले वह सख्त और सूखा-सूखा लगता है। लेकिन थोड़ी देर तक चबाने पर वह नरम और मुलायम हो जाता है। अब इसका स्वाद आने लगता है और यह निगलने लायक बन जाता है।
प्रश्न- सोचो, हमारे मुँह में लार क्या काम करती होगी?
उत्तर-लार दाँतों को बैक्टीरिया से बचाती है। यह दाँतों , जीभ और मुंह के अंदर कोमल भागों को चिकनाई देती है। भोजन में मिलकर उसे मुलायम बनाती है जिससे उसे निगलना आसान हो जाता है। लार भोजन का स्वाद चखने और पचाने में सहायता करती है। लार की वजह से हम अच्छी तरह बोल पाते हैं।
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चर्चा करो
विद्यार्थियों के अनुभवों से शुरू कर निम्न प्रशनों के माध्यम से चर्चा को आगे बढ़ाएं। उन्हें ऐसा लगना चाहिए जैसे साधारण बातचीत हो रही हो।
प्रश्न- क्या तुमने किसी को कहते सुना है, ” मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं । ” तुम्हें क्या लगता है, भूख लगने पर सचमुच पेट में चूहे कूदते हैं ?
उत्तर- हाँ, यह मैंने सुना है। पेट में चूहे तो नहीं होते लेकिन भूख लगने पर ऐसा महसूस होता है कि जैसे पेट में कुछ चल रहा हो। शायद इसीलिए कहते हैं ” मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं”।
प्रश्न- तुम्हें कैसे पता चला कि तुम्हें भूख लगी है?
उत्तर- भूख लगने पर मेरा मन कुछ खाने को करता है। खाने की चीज़ें देखकर मुँह में पानी आ जाता है । कई बार ऐसा लगता है जैसे पेट में कुछ हिल रहा हो।
प्रश्न- सोचो, अगर तुम दो दिन तक कुछ भी न खाओ तो क्या होगा?
उत्तर- दो दिन तक कुछ भी न खाने से शरीर में कमजोरी महसूस होगी। काम करने को मन नहीं करेगा। कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा।
प्रश्न- क्या तुम दो दिन तक पानी के बिना रह सकते हो? सोचो, जो पानी हम पीते हैं, वह कहाँ जाता होगा?
उत्तर- नहीं, मैं दो दिन तक पानी के बिना नहीं रह सकती। हम जो पानी पीते हैं उसमें से कुछ पानी शरीर में रह जाता है कुछ मूत्र के रूप में बाहर आ जाता है। कुछ पानी मल के साथ तथा पसीने के रूप में भी बाहर आ जाता है। शरीर में बचा पानी विभिन्न अंगों को सही ढंग से काम करने में सहायता करता है। जैसे पाचन प्रक्रिया, आँतों की सफाई, शरीर का तापमान बनाए रखना आदि।
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बताओ और चर्चा करो
प्रश्न- तुम्हे याद होगा कि तुमने चौथी कक्षा में नमक चीनी का घोल बनाया था। नीतू के पिताजी ने भी उसे यही घोल दिया। सोचो, उल्टी दस्त होने पर यह घोल क्यों देते होंगे?
उत्तर- हाँ, मैंने चौथी कक्षा में नमक -चीनी का घोल बनाना सीखा था। नीतू ने भी यही गोल पिया था। उल्टी दस्त होने पर शरीर में पानी और लवण की कमी होने लगती है। शरीर कमजोर और बीमार हो जाता है। इसलिए नमक और चीनी का घोल दिया जाता है।
प्रश्न- क्या तुमने कभी ‘ग्लूकोज़‘ शब्द सुना है या लिखा हुआ देखा है ? कहाँ?
उत्तर- हाँ, मैंने ‘ग्लूकोज़’ शब्द सुना है और इसका डिब्बा देखा है। ‘ ग्लूकोज़’ का विज्ञापन टीवी पर भी देखा है।
प्रश्न- क्या तुमने कभी ‘ग्लूकोज़‘ चखा है? इसका स्वाद कैसा होता है? अपने साथियों को बताओ।
उत्तर- हाँ, मैंने कई बार ‘ग्लूकोज़’ चखा है। इसका स्वाद मीठा होता है।
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प्रश्न- क्या तुम्हें या तुम्हारे घर में कभी किसी को ‘ग्लूकोज़‘ चढ़ाया गया है? कब और क्यों? उसके बारे में अपने साथियों को बताओ।
उत्तर- हाँ, जब मेरे दादा/ दादी जी बीमार थे तो उन्हें अस्पताल में ‘ग्लूकोज़’ चढ़ाया गया था।
प्रश्न- नीतू की टीचर उसे हॉकी खेलते समय बीच-बीच में ‘ग्लूकोज़‘ पीने को कहती हैं। सोचो, वह खेल के दौरान ‘ग्लूकोज़‘ क्यों पीती होगी?
उत्तर- खेलते समय शरीर का पानी पसीने के रूप में बाहर आता रहता है। जिससे शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इसके साथ ही शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है। इसलिए नीतू की टीचर उसे हॉकी खेलते समय बीच-बीच में’ग्लूकोज़’ पीने को कहती हैं।
प्रश्न- चित्र देखकर बताओ, नीतू को ‘ग्लूकोज़‘ कैसे चढ़ाया गया?
उत्तर- नीतू को सुई लगा कर ‘ग्लूकोज़’ सीधा नस में चढ़ाया गया।
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सोचो और चर्चा करो
यह चर्चा रोचक होनी चाहिए। भाषा बिलकुल सरल और सटीक होनी चाहिए। ताकि विद्यार्थी सही नतीजे तक पहुँच सकें।
प्रश्न- अगर डॉ. बोमोंट की जगह तुम होते तो पेट के रहस्य जानने के लिए क्या -क्या प्रयोग करते? उन प्रयोगों के नतीजे भी बताओ।
उत्तर- अगर मैं डॉ. बोमोंट की जगह होता तो निम्न प्रयोग करता।
- डर लगने पर पेट पर ज़ोर क्यों पड़ता है? इससे डर की भावना को कम करने में मदद मिलती।
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चर्चा करो
चर्चा को इस प्रकार शुरू करें की विद्यार्थी वास्तविकता को महसूस कर सके । वे खाने के महत्व को समझ सके। उसका सदुपयोग करना सीखे।
प्रश्न- तुम्हें क्या लगता है, रश्मि पूरे दिन में एक ही रोटी क्यों खाती होगी?
उत्तर- ऐसा लगता है कि रश्मि का परिवार भरपेट रोटी का इंतजाम नहीं कर पाता होगा।
प्रश्न- क्या कैलाश को खेल-कूद में दिलचस्पी होगी?
उत्तर- नहीं, कैलाश को खेल-कूद में दिलचस्पी नहीं होगी क्योंकि उसका शरीर मोटा और थुलथुला है। जिससे उसे सुस्ती रहती होगी। उसे खेलना कूदना कठिन लगता होगा।
प्रश्न- सही खाने से तुम क्या समझते हो?
उत्तर- वह खाना सही होता है जिसमें फल, सब्जी, दाल, अनाज, दूध आदि शामिल हो।
प्रश्न- तुम्हारे हिसाब से रश्मि और कैलाश का खाना ठीक क्यों नहीं है? लिखो।
उत्तर- रश्मि को शरीर की जरूरत के हिसाब से बहुत ही कम खाना मिल रहा है। जिससे वह कमजोर और बीमार हो गई है। दूसरी ओर कैलाश सही खाना पसंद ही नहीं करता। बाजार की चीज़ें खा-खा कर लगभग बीमार ही हो गया है। इसलिए दोनों का ही खाना ठीक नहीं है।
पता करो
इस कार्य को पूर्ण करने के लिए अभिभावकों की सहायता की आवश्यकता होगी । पहले दिन बातचीत कर कार्य घर को दें । दूसरे दिन इस कार्य को विद्यार्थियों से पूरा करवाएं।
प्रश्न- दादा-दादी से पूछो कि जब वे तुम्हारी उम्र के थे तब वे एक दिन में क्या-क्या काम करते थे? क्या खाते थे और कितना?
उत्तर- जब मेरे दादा-दादी छोटे थे तो वे खेतों में अपने माता-पिता के साथ काम करते थे। घर पर भी सफाई करना, पशु चराना, कई बार तो खाना भी बनाना और बावड़ी से पानी लेकर आना जैसे काम करते थे। वे चावल, मक्की की रोटी, दालें, दूध, घी, मक्खन, सब्जियां और फल आदि खाते थे। वह भूख के हिसाब से ही खाना खाते थे।
प्रश्न- अब तुम अपना सोचो, तुम जो खाते हो और जो काम करते हो।
उत्तर- हम सुबह स्कूल जाते हैं और शाम को वापस आते हैं। खेलते हैं। घर का छोटा-मोटा काम करते हैं और टीवी देखते हैं। हम खाने के साथ-साथ बाज़ार से लाए चिप्स, कुरकुरे, बिस्किट, चॉकलेट, टॉफी और जाने क्या क्या खाते हैं।
प्रश्न- क्या आपके द्वारा की गई चीज़ें/ बातें बड़ो जैसी हैं या उनसे अलग हैं?
उत्तर- हमारे द्वारा की गई चीज़ें/ बातें बड़ो जैसी नहीं हैं। वे हम से अधिक काम करते थे और घर का शुद्ध और ताज़ा खाना खाते थे। इसके उलट हम कम काम करते हैं और बाज़ार मैं कई दिनों की रखी हुई चीज़ें खाते हैं।
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प्रश्न- ओड़िशा के कालाहांडी जिले के बारे में पढ़ो और कक्षा में चर्चा करो।
उत्तर- ओडिशा का कालाहांडी जिला में कुछ लोग इतने गरीब हैं कि वे अपने और अपने परिवार के भर पेट खाना भी नहीं जुटा पाते। जिसके कारण बहुत से लोग मर जाते हैं। यहां का जीवन जंगल और खेती पर आधारित है। अशिक्षा के कारण लोग अपना रोजगार भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते। लेकिन अब सरकार द्वारा उनकी मदद के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
सोचो और चर्चा करो
प्रश्न- क्या तुम किसी ऐसे बच्चे को जानते हो जिसे दिन भर में खाने को कुछ नहीं मिलता? इसके क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर- नहीं, मैं ऐसे किसी बच्चे को नहीं जानती। पर मैंने सुना है कि कई बच्चों को दिन भर कुछ भी खाने को नहीं मिलता। ऐसा निम्न कारणों से हो सकता है:-
1 परिवार बहुत गरीब होगा।
2 परिवार के लोग शिक्षित नहीं होंगे।
3 खेती-बाड़ी के लिए ज़मीन नहीं होगी ।
4 कोई स्थाई रोज़गार नहीं होगा ।
5 बच्चा अनाथ होगा।
प्रश्न- क्या तुमने कभी ऐसा गोदाम देखा है जहाँ बहुत सारा अनाज रखा हो? कहाँ?
उत्तर- हाँ, मैंने आनाज का गोदाम देखा है। वह गोदाम हमारे बाज़ार में है। मेरे गाँव में भी एक सरकारी डिपो का गोदाम है वहाँ से ग्रामवासी सामान लेते हैं।
हम क्या समझे
प्रशनो के माध्यम से बच्चों की जानकारी को जाँच लें उस को अधर बना कर निम्न कार्य पूर्ण करें।
प्रश्न- जब तुम्हें ज़ुकाम होता है तो खाना बेस्वाद क्यों लगता है?
उत्तर- ज़ुकाम के कारण निकलने वाले द्रव से मेरी नाक बंद हो जाती है ।स्वाद लेने के लिए जीभ के साथ-साथ खुशबू भी जरूरी होती है। बंद नाक के कारण मैं भोजन की खुशबू नहीं सूँघ सकती। इसलिए मुझे भोजन स्वाद नहीं लगता।
प्रश्न- अगर ऐसा कहा जाए- ‘हमारा मुँह ही पचाना शुरू कर देता है‘ – तो तुम कैसे समझाओगे? लिखो।
उत्तर- जब हम मुँह में खाना चबाते हैं तो उसमें लार मिलती जाती है। वह लार भोजन को निगलने लायक बनाने के साथ उसे सही ढंग से पचने के लिए भी तैयार कर देती है। इसलिए यह कह सकते हैं- ‘हमारा मुँह ही पचाना शुरू कर देता है’ ।
प्रश्न- ‘सही खाना‘ न मिले तो बच्चों को क्या-क्या परेशानी हो सकती है?
उत्तर- बच्चों को अगर सही खाना न मिले तो उनका विकास रुक सकता है। उनका शरीर कमजोर हो सकता है। उन्हें पढ़ने, खेलने -कूदने तथा काम करने में मुश्किल हो सकती है। शरीर के साथ दिमाग भी सही ढंग से विकसित नहीं होगा। वे बार-बार बीमार होते रहेंगे।
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NCERT Solutions for Class 5 EVS Chapter 3-चखने से पचने तक( Chakhane se Pachane Tak) यह सामग्री संदर्भ के लिए है। आप अपने विवेक से प्रयोग करें। – में विद्यार्थी तथा परिस्थितिनुसार बदलाव आवश्यक है। पुस्तकों में विचार-विमर्श तथा चर्चा के लिए बहुत स्थान हैं। उनका प्रयोग अवश्य करें क्योंकि यही उद्देश्य भी है। सिर्फ याद करना और लिखना पर्यावरण को समझने-समझाने का तरीका नहीं हो सकता।